Sep 03, 2025, 11:25
सेमिकॉन इंडिया 2025 मंच पर भारत ने अंतरिक्ष मिशनों के लिए विकसित अपना पहला पूर्णत: स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर—‘विक्रम-32’—प्रदर्शित किया। यह चिप मोहाली स्थित ISRO सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी ने विकसित की है और अंतरिक्ष जैसे अत्यधिक तापमान/रेडिएशन वाले परिवेश में भरोसेमंद गणनात्मक क्षमता देने का लक्ष्य रखती है। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने घरेलू सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम, एआई और उन्नत मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता को रेखांकित किया। विशेषज्ञों के अनुसार, स्पेस-ग्रेड प्रोसेसर का स्वदेशीकरण सैटेलाइट एवियोनिक्स, लॉन्च वाहन गाइडेंस और डीप-स्पेस मिशनों के लिए रणनीतिक स्वायत्तता बढ़ाएगा, साथ ही विदेशी निर्भरता कम कर लागत/सप्लाई-चेन जोखिम घटाएगा। यह कदम भारत के बढ़ते स्पेस कार्यक्रम (चंद्रयान-3 डेटा ओपन करने की ताज़ा घोषणा सहित) और ‘डिज़ाइन-इन-इंडिया’ विज़न के अनुरूप है। उद्योग जगत इसे रक्षा/एयरोस्पेस-इलेक्ट्रॉनिक्स और कठोर अनुप्रयोगों (ऊर्जा, परिवहन) में भी संभावनाएँ खोलने वाला मान रहा है। सरकार/ISRO की ओर से आगे टेस्ट-क्वालिफिकेशन, उत्पादन स्केल-अप और घरेलू IP पोर्टफोलियो विस्तार पर ज़ोर होगा। कुल मिलाकर, ‘विक्रम-32’ भारत की सेमीकंडक्टर महत्वाकांक्षाओं में मील का पत्थर है जो स्पेस मिशनों से लेकर क्रिटिकल एम्बेडेड सिस्टम्स तक देश की तकनीकी संप्रभुता को मजबूती देगा।